Kachhi Ghodi Dance For Welcome/Stage Show In Events ( कच्छी घोड़ी डांस नृत्य )
It is believed that the Kachhi Ghodi dance is originated from the bandit regions of Shekhawati. Generally, the dance is performed for the entertainment of the bridegroom`s party. Dancers are ready with elaborate costumes that resemble them as if they are riding on a dummy horse. It is a vigorous type of dance. It also uses mock fights and the brandishing of swords, nimble sidestepping and pirouetting to the music of drums. During the performance, a ballad singer sings & exploits of the bandit Robin Hoods of Rajasthan. Men in elaborate costumes ride the equally well-decorated dummy horses. However, they hold naked swords in their hands and move rhythmically on the beating of drums and fifes.
Alankar Musical Group presents One Of the best Group for Kachchhi Ghodi dance, also spelled Kachhi Ghodi and Kachhi Gori, is an Rajasthani folk dance of India, kachchhi ghodi dance, kachhi ghodi, kachchhi ghodi, kachhi ghodi rajasthani folk dance, kachhi ghodi nritya, kachhi ghodi dance, kachchhi ghodi dance rajasthan, kachhi ghodi folk dance, kacchi ghodi nritya, kachi ghodi dance, kacchi ghodi folk dance, kachi godi dance, kachi gori dance, lilli ghodi dance, duldul ghodi dance, Kachhi Ghodi Dance For Wedding Entry, Kachhi Ghodi Folk Dance For Corporate Welcome Event Jaipur, Delhi, Gurgaon, Delhi NCR, Gurgaon, Noida, Faridabad, Agra, Mathura, Mumbai, Chennai, Hyderabad and Rajasthan. Serving Across Globe London, Dubai, Phuket, Delhi, Mumbai, Gurgaon, Noida, Agra, Jaipur, Udaipur, Chandigarh, Goa, Kolkata. Call Now
Peoples Search In Hindi : कच्छी घोड़ी नृत्य डांस वीडियो, कच्छी घोड़ी नृत्य डांस , कच्छी घोड़ी डांस ऑफ राजस्थान, कच्छी घोड़ी नृत्य कहा का प्रसिद्ध है, राजस्थान के शेखावाटी कच्छी घोड़ी, कच्छी घोड़ी लोकगीत, कच्छी घोड़ी नृत्य पार्टी, लिल्ली घोड़ी नृत्य डांस, दुलदुल घोड़ी नृत्य ||
कच्छी घोड़ी नृत्य : यह राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र तथा कुचामन, परबतसर, डीडवाना आदि क्षेत्रों में विवाहादि अवसरों पर व्यावसायिक मनोरंजन के रूप में किया जाने वाला अत्यंत लोकप्रिय वीर नृत्य है। इसमें वाद्यों में ढोल, झांझ, बाकियाँ व थाली बजती है। सरगड़े, कुम्हार, ढोली व भांभी जातियाँ इस नृत्य में प्रवीण हैं। यह नृत्य कमल के फूल की पैटर्न बनाने की कला के लिए प्रसिद्ध है। चार-चार व्यक्तियों की आमने-सामने खड़ी पंक्तियां पीछे हटने, आगे बढ़ने की क्रियाएं द्रुतगति से करती हुई इस प्रकार मिल जाती हैं कि आठों व्यक्ति एक ही लाइन में आ जाते हैं। इस पंक्ति का बार-बार बनना व बिगड़ना ठीक उस कली के फूल की तरह होता है जो पंखुड़ियां के रूप में खुलती हैं। इसमें लसकरिया, बींद, रसाला तथा रंगमारिया गीत गाए जाते हैं। कच्छी घोड़ी में नकली घोड़ों का प्रयोग किया जाता है। यह पेशेवर जातियों द्वारा मांगलिक अवसरों पर अपनी कमर पर बास की घोड़ी को बांधकर किया जाने वाला नृत्य है। आज इसने व्यावसायिक रूप धारण कर लिया है।